tag:blogger.com,1999:blog-4930464075102796849.post64940267376128450..comments2020-03-16T07:32:32.555-07:00Comments on साहित्य-संवाद ( کتھا پرسنگ / कथा-प्रसंग ): सम्पादक नैरंगे-ख़याल के नाम फ़िल्म जगत से सम्बंधित प्रेमचंद की एक अप्राप्य चिट्ठी / प्रोफेसर शैलेश ज़ैदीयुग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4930464075102796849.post-70597491709682215942008-08-01T07:54:00.000-07:002008-08-01T07:54:00.000-07:00आम जनता के संस्कार और रुचि किस तरह सब को प्रभावित ...आम जनता के संस्कार और रुचि किस तरह सब को प्रभावित करती है। इस का महत्वपूर्ण खुलासा इस चिट्ठी में हुआ है। <BR/>इस से यह बात सामने आई कि देश की आजादी के बाद सब से अधिक ध्य़ान शिक्षा और संस्कृति के उत्थान पर देना था। जब कि अब भी यह एक गौण मंत्रालय है। सिर्फ फर्ज अदायगी के लिए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4930464075102796849.post-6299672612410308932008-07-31T22:41:00.000-07:002008-07-31T22:41:00.000-07:00विचार प्रासंगिक और उपयोगी हैं। इस अप्राप्य चिटठी क...विचार प्रासंगिक और उपयोगी हैं। इस अप्राप्य चिटठी को पढवाने का शुक्रिया।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.com