प्रेमचंद पर प्रोफेसर जैदी ने इस पुस्तक का लेखन 1980 में प्रारम्भ किया था और 1994 के अंत तक समूची पुस्तक लिखी जा चुकी थी.किंतु परिस्थितियां ऐसी बनती गयीं कि इसका प्रकाशन न हो सका. हाँ इसके कुछ अंश अभिनव भरती, तथा चंडीगढ़ और कुरुक्षेत्र की हिन्दी विभागीय शोध पत्रिकाओं में अवश्य छपे. इन पत्रिकाओं का वितरण इतना सीमित है कि हिन्दी के प्रेमचंद अध्येता इन लेखों का समुचित लाभ न उठा सके. अब प्रो. जैदी के कई मित्रों का दबाव था कि समूची पुस्तक इस ब्लॉग में छाप दी जाय. फलस्वरूप यह पुस्तक साहित्य-संवाद के माध्यम से प्रकाशित की जा रही है. मेरा विश्वास है कि प्रो0 शैलेश जैदी की यह पुस्तक भी उसी प्रकार चर्चित होगी जिस प्रकार उनकी पुस्तक प्रेमचंद की उपन्यास-यात्रा : नव मूल्यांकन चर्चा में रही. (डॉ. परवेज़ फ़ातिमा )
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